Saturday, 25 March 2017

हम तुम्हे यादों से आजाद करते हैं



हम तुम्हे यादों से आजाद करते हैं

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जाओ हम तुम्हे यादों से भी आजाद करते हैं,
बड़े नादान थे हम जो तुमसे छुपाकर ही तुम्हे याद करते हैं।


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                      ..............................POET - VARSHA JAISWAL

भावे मन को घनेरी छाव ना



       भावे मन को घनेरी छाव ना
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गरम रातों को सर पर ढ़ोए,
समझ में आता मौसम का बदलाव ना।


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एक गरीबी बिलख कर रोई


       एक गरीबी बिलख कर रोई
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कड़ी धूप में निकली पथ को,
क्या कहोगे बताओ ना।


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                      ..............................POET - VARSHA JAISWAL

Monday, 20 March 2017

देख आंखों के दर्पण में



देख आंखों के दर्पण में,
इन्सान पहचानना मुश्किल है।
मासूम नजर के बनते फिरते,
ऐसे बदले चेहरों में।
                          ..............................POET - VARSHA JAISWAL

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तुझसे मिलने की कोई सूरत नहीं



ना तुझसे मिलने की कोई सूरत नजर आती,
ना आता तेरा कोई जवाब।

                                                             ..............................POET - Pawan Kumar Choudhary 


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